अक्सर मुझमें मेरा नामों-निशान नहीं होता, वो कहते हैं के इश्क़ मर्ज़-ए-हराम नहीं होता। सहते हैं जलवे और करते है नीत तौबा, यह जलता दरिया है यूँ ही पार नहीं होता। है नेक पाक नाता, उठकर जिस्मों से परे, रचाकर रुक्मणि संग व्याह, राधा का श्याम ना होता। 💞Shayar RK...✍🏻 ©SHAYAR (RK) अकसर मुझमें