महफिल बस्ती है तो बसने दो ... घर उजड़ते है तो उजड़ने दो ... सूखे पत्ते गिरते है तो गिरने दो ... बरसात की जरूरत है ., होती है होती है तो होने दो ... कुछ बस्तियां बस्ती है ..,, तो बसने दो .... फूल खेलते है तो खेलने दो ... महफिल बस्ती है तो बसने दो.... घर गिरते है तो गिरने दो... ©Utkarsh Pandey #contraction #distraction #we #be #Poetry #thought #write #Self