रात का भी अलग अंदाज़ है, गेसू-ए-शम' क्या रोशन करेगा, लाख़ लगाएं तोहमत-ए-'आलम कोई, अंधेरों को दाग़ भला कैसे लगेगा..!! #रातकाअफ़साना #अंधेरे_की_ओट_में #रात_का_पहलू