ऐ खुदा आज तूं मेरा हिसाब कर दे,मेरे बिखरे जहां को आबाद कर दे। बेगारों की माफिक हुई है ज़िन्दगी मेरी,अंदर मेरे हौसलों का संचार कर दे।हर रोज़ आंखों में नए ख्वाब सजाता हूं,दिल में घुले अरमानों को जगाता हूं,बस रहमते मन में मेरे जुनूनी अंगर भर दे।दिलो दिमाग में हजारों सवालों का उफान मचा है,सिवा ठोकर के इस जहां में तूफान बचा है।ना ले इम्तिहान अब मेरे सबब का,तेरा हर फैसला है कितना अजब का। टूट चुका हूं दुनियां के झूठे वसूलों से,यूं समझ हार गया इन नफरती कुबूलों से।बेसुध पड़ी जहां में मेरे खुशियों का अंबार भर द।।। ऐ खुदा आज तूं मेरा हिसाब कर दे।।,..written by....संतोष वर्मा आजमगढ़ वाले,..... मेरी फरियाद.......