ऋषि दुर्वासा ने कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर कुंती को वरदान दिया। कुंती ने वरदान की परीक्षा के लिए सूर्य भगवान का आह्वान किया। कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇 ऋषि दुर्वासा ने कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर कुंती को वरदान दिया। कुंती ने वरदान की परीक्षा के लिए सूर्य भगवान का आह्वान किया। सूर्य भगवान ने कुंती की गोद में कर्ण को डाल कर कर्ण की मां बनाया। कुंती ने बिन ब्याही मां बनने का कलंक और लोक लाज के डर से नदी में बहाया। कर्ण को फिर अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने पाल पोस कर बड़ा किया। क्षत्रिय होने के बावजूद भी कर्ण सदा ही सूत पुत्र राधे के नाम से जाने गये।