दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं जख्म इतने मिले फिर सिले भी नहीं व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा सोच लेना कि हम तुम मिले भी नहीं। #दीप ऐसे #बुझे फिर #जले ही नहीं #जख्म इतने मिले फिर सिले भी नहीं #व्यर्थ #किस्मत पे रोने से क्या #फायदा #सोच लेना कि #हम #तुम #मिले भी नहीं