भूली कोई कहानी हूँ, या एक किस्से की किरदार, वक़्त की कैद मे आज़ाद सी फ़िरती, भटकती कोई उम्मीद या एक पिंजरे की हक़दार। हालातों से लड़ती, बढ़ता तूफ़ान नहीं, मैं रेत के टीलो की धूल ही सही, अल्फाज़ो मे लिपटी वो ग़ज़ल नहीं मैं, किसी के ठहरे लबो की कशमकश ही सही। किसी सागर की गहराई हूँ या सुखी नदी का मझदार, खोए निशानों को ढूंढती, मैं सपना हूँ किसी आँखो का, या उस टूटी नींद की ज़िमेदार। कोशिशों से जीतना भी नहीं, मुझे दुआओं का सहारा ही सही, हमदर्द की चाहत मे नहीं मैं, अनसुने नगमों सी बेसहारा ही सही। पूरी खुद मे हूँ,या किसी ज़िन्दगी की हिस्सेदार, खुद की तलाश में भटकती मैं, अपनी ही पहचान हूँ, या किसी के नाम की मोहताज़। #pehachan #yqbaba #repost #yqbaba #yqdidihindi