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थहर थहर कर चल, ये हसींन वादिया देख ले, फिर ना मिले

थहर थहर कर चल,
ये हसींन वादिया देख ले,
फिर ना मिलेगी दोबारा इसकी झलक..
इन नदियों को देख कहां जा रही है बहते हुए
किसको पसन्द है इनकीं छलक,
मजा आ रहा है ना मेरे दोस्त,
रुक रुक कर चल..सेल्फी लेता चल..!!

©Shreehari Adhikari369
  #सेल्फी लेता चल
#कविता