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ना जाने कब शाम ढ़लके रात हो गई आंखें बंद नहीं हुईं

ना जाने कब शाम ढ़लके रात हो गई
आंखें बंद नहीं हुईं जाने ऐसी क्या बात हो गई
ख़ुद की रूह को सताता आया हूँ अब तलक
आज मेरी रूह से मेरी ही मुख्तसर मुलाक़ात हो गई #KhudSeMulaqat #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #Rooh
ना जाने कब शाम ढ़लके रात हो गई
आंखें बंद नहीं हुईं जाने ऐसी क्या बात हो गई
ख़ुद की रूह को सताता आया हूँ अब तलक
आज मेरी रूह से मेरी ही मुख्तसर मुलाक़ात हो गई #KhudSeMulaqat #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #Rooh