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तुझे चाहना इबादत थी मेरी पर तुझे समझ ना आना ये ह

तुझे चाहना इबादत थी मेरी

 पर तुझे समझ ना आना ये हिदायत सी थी तेरी।।

तुझे खुश रखना चाहत सी थी मेरी 

पर तुझे कह ना पाना यह आफत सी थी मेरी

इस चाहत के काबिल ना थे तुम कभी 

खुद में उलझा ते रहे हमें और हम सोच रहे थे कि हम तुम्हें सुलझा रहे थे।।

हर दिन तुम बेहलाते रहे अपनी मीठी बातों से और हम बेअकल उसे तेरी चाहत समझ बैठे

 तुझे तो कदर ही नहीं थी मेरी तुम अपना काम निकालते रहे और हम बेअकल उसे तेरी परवाह समझ बैठे।

तुझे चाहना इबादत थी मेरी पर तुझे समझ ना आना यह हिदायत सी थे  तेरी।।
#harshita #poetrylines
तुझे चाहना इबादत थी मेरी

 पर तुझे समझ ना आना ये हिदायत सी थी तेरी।।

तुझे खुश रखना चाहत सी थी मेरी 

पर तुझे कह ना पाना यह आफत सी थी मेरी

इस चाहत के काबिल ना थे तुम कभी 

खुद में उलझा ते रहे हमें और हम सोच रहे थे कि हम तुम्हें सुलझा रहे थे।।

हर दिन तुम बेहलाते रहे अपनी मीठी बातों से और हम बेअकल उसे तेरी चाहत समझ बैठे

 तुझे तो कदर ही नहीं थी मेरी तुम अपना काम निकालते रहे और हम बेअकल उसे तेरी परवाह समझ बैठे।

तुझे चाहना इबादत थी मेरी पर तुझे समझ ना आना यह हिदायत सी थे  तेरी।।
#harshita #poetrylines