मैं तेरे लिए बिस्मिल, ओ मेरे हमनवा शाम अधूरी है, रात है ये गवा मुंदी पलकों से, राह तेरी मैं तकता मेरे कलम से खत्म स्याही और धारा पे पड़े फटे कागज ये भी है गवा #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqpoetry #wait #intezaar #besabri #yaad