कोई उम्मीद नज्जर नहीं आती कोई सूरत नज्जार नहीं आती मौत तो आनी निश्चित है मगर नींद क्यो नहीं आती मिलती तो तुम हर रोज़ हो ख्यालों में मगर हकीकत में सूरत क्यों नहीं दिखाती है कुछ बात जो चुप हूं मै भला ऐसी क्या बात जो मुझे करने नहीं आती