:: गुरुवर नमन आपको :: माँँ ने उँगली पकड़कर आँगन में दौड़़ाया, पिता ने दुनिया की राह पर चलना सिखाया। जग में सर्वोपरि स्थान गुरुवर आपको, मुझे जीवन-सार देकर एक व्यक्ति बनाया।। कागज के पन्ने पर अंकित जड़ आकृति था, चित्रकार की रंगहीन भ्रमित कलाकृति था। वन्दन बारम्बार गुरुवर आपको, मुझे चेतन कर, रंग भर एक सुन्दर प्रस्तुति बनाया।। मस्तिष्क का कोना-कोना ज्ञान से रिक्त था, हृदय का कतरा-कतरा भाव से रहित था। नमन कोटि-कोटि गुरुवर आपको, मुझे ज्ञान-भाव से युक्त कर सार्थक उत्पत्ति बनाया।। सद्भभाव, सद्कार्य, सदाशयता सदाचार, सभी मानवीय गुणों से मुझे परिपूर्ण किया। बलिहारी जाऊँ गुरुवर आप पर, अपने शिष्य को एक विभूति बनाया।। **सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' #Guru Purnima