वक्त की बर्बादी की सीढ़ियां उस तरफ लंबी है इस तरफ भी.. खून इस तरफ टपकती है उस तरफ भी.. चीखे तुझे भी सुनाई देती है मुझे भी... सियासी की सतरंज में तूने जो खिंची लकीर.. मजहब की नाम से तूने जो छोड़ा ज़मीर... पूछ ना एकबार खुद से.. एक परिंदे की सरहद क्या है.. #terrorism