सच ज़िन्दगी का (ग़ज़ल) गुज़रते वक्त साथ लोग किसी को भुला देते हैं। कौन अपना कौन पराया पल में जता देते हैं। अपने ही बेवजह आँखोंं में आंँसू दे जाते हैं। देकर उजाला ज़िन्दगी में अंधेरा कर जाते हैं। दिल को चोट दे घर वीरान कर जाते हैं। ज़िन्दगी के सफ़र में अकेला छोड़ जाते हैं। सारे अरमान को कुचल सारे ख़्वाब तोड़ जाते हैं। तन्हाई में जीने मरने के लिए हम रह जाते हैं। अपने ही लोग भरोसा अक्सर तोड़ जाते हैं। किस पर करें एतबार हम सोचते रह जाते हैं। सुनसान रास्तों में लोग चीखें सुन नहीं पाते हैं। ज़िन्दगी की राहों में लोग अकेले चलते हैं अकेले ही रह जाते हैं। #rztask524 #restzone #rzलेखकसमूह #collabwithrestzone #rzghazals #unique_upama #yqdidi #ग़ज़ल