मेरी परछाई मुझे जब भी भटकने लगते हैं मेरे विचार , भूलने लगता हूँ अपना व्यवहार । तब ढूंढ लाती है हरबार , मेरी परछाई मुझे । जब कभी चढ़ने लगते हैं , रंग कोई मुझपे बेगानी सी । तब ढूंढ लाती है हरबार , मेरी परछाई मुझे । जब मन बोझिल हो जाता संघर्षों से , टूटने लगता है उम्मीदों का जहान । तब ढूंढ लाती है हरबार, मेरी परछाई मुझे । यह जानती है मुझे , यह पहचानती है मुझे । इसीलिए ढूंढ लाती है हरबार, मेरी परछाई मुझे ॥ #मेरीपरछाईमुझे