कोई मुझे बस इतना बता दे की मेरा गुनाह क्या है? मैने किसी से प्यार किया ? या फिर मैने खुद से भी ज्यादा अपनों कों मान लिया ? यूं तो झूठ बोल कर के हम भी अच्छे बन सकते थे पर हमको कहां ये रास आया ।। खोल दिया अपने सच का पिटारा, तो सच सिखाने वालों ने ही हमें अलग अलग नाम से बुलाया ।। मिलने लगी धमकियां हमें उस काम के लिए जिसमें आज तक हमारा खोट हमें समझ तक ना आया, कोई मेरी भी मदद करो तो गलती क्या है मेरी जरा मुझसे भी बोल दो ।। सवाल