यार वो अपना उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते Poet by #Basheer_Badr