****सम्बंध**** एक गांव में एक छोटी सी नदी थी जिसके पानी में अमृत समान गुण था बहुत सारी मछालियां उसमें तैरा करती थी आस -पास के लोग, राहगीर , गाय ,बकरियां , सभी उस नदी का जल पी कर अपनी प्यास बुझाते थे एक बार की बात है उस समय गांव में वर्षा कम हुई थी गर्मी का मौसम था गर्मी इतनी थी मनुश्यों पर उसका असर दिखने लगा लोगों ने घर से बाहर निकलना कम कर दिया पंछी पेड पर बने घोंसलों में से गर्मी कम होने के बाद ही निकलते छोटे ताल सूखने लगे नदी का भी पानी उस गर्मी से नहीं बच सका सारी मछलियों ने बैठक की अौर निर्णय लिया की वो उस नदी को छोड़ कर चली जायेंगी और अपनी जान बचायेंगी नहीं तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा एक नन्ही मछली बहुत ही शांत थी रानी मछली ने उस नन्ही मछली से चुपचाप रहने का कारण पूछा ,तब उसने कहा , कि हम सब ने इस नदी के पानी में बहुत दिन बिताये हैं हमें मुश्किल समय में इसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए और इसका साथ देना चाहिए वर्षा का मौसम आते ही यह फिर से भर जायेगा और हम फिर से इसमें अपना जीवन आनन्द से बितायेंगें लेकिन सारी मछलियों ने उसका साथ नहीं दिया और नदी को छोड़कर चली गयी लेकिन वह नन्ही मछली नदी को छोड़कर नहीं गयी तब नदी ने उस नन्ही मछली से पूछा की तुम्हें अपनी जान से प्यार नहीं है क्या ? उसने कहा है तो फिर तुम क्यों नहीं गई तब उसने जवाब दिया की अच्छे दिन तो तुम्हारे साथ बिताये अब थोडी सी मुसीबत में तुम्हारा साथ कैसे छोड़ दूँ और फिर अभी तक इतना पानी है की मैं जीवित रह सकती हूँ नदी ने कहा तुम ही सच्ची साथी हो मैं भी तुम्हारा साथ निभाऊँगा सच में तुम्हारा मेरा रिश्ता आत्मा से जुडा है इतने में आकाश में बादल उमड़ने लगे आकाश बादलों से भर गया था और वर्षा की बूंदे छम -छम कर धरा को भीगोने लगी और नदी फिर से अमृत रूपी गुणो से भर गयी छोड़कर गयी सारी मछलियां वापस आ गई लेकिन उनसे वो रिश्ता नदी से कभी नहीं जुड पाया #NojotoQuote ****सम्बंध**** एक गांव में एक छोटी सी नदी थी जिसके पानी में अमृत समान गुण था बहुत सारी मछालियां उसमें तैरा करती थी आस -पास के लोग, राहगीर , गाय ,बकरियां , सभी उस नदी का जल पी कर अपनी प्यास बुझाते थे एक बार की बात है उस समय गांव में वर्षा कम हुई थी गर्मी का मौसम था गर्मी इतनी थी मनुश्यों पर उसका असर दिखने लगा लोगों ने घर से बाहर निकलना कम कर दिया पंछी पेड पर बने घोंसलों में से गर्मी कम होने के बाद ही निकलते छोटे ताल सूखने लगे नदी का भी पानी उस गर्मी से नहीं बच सका सारी मछलियों ने बैठक की अौर निर्णय लिया की वो उस नदी को छोड़ कर चली जायेंगी और अपनी जान बचायेंगी नहीं तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा एक नन्ही मछली बहुत ही शांत थी रानी मछली ने उस नन्ही मछली से चुपचाप रहने का कारण पूछा ,तब उसने कहा , कि हम सब ने इस नदी के पानी में बहुत दिन बिताये हैं हमें मुश्किल समय में इसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए और इसका साथ देना चाहिए वर्षा का मौसम आते ही यह फिर से भर जायेगा और हम फिर से इसमें अपना जीवन आनन्द से बितायेंगें लेकिन सारी मछलियों ने उसका साथ नहीं दिया और नदी को छोड़कर चली गयी लेकिन वह नन्ही मछली नदी को छोड़कर नहीं गयी तब नदी ने उस नन्ही मछली से पूछा की तुम्हें अपनी जान से प्यार नहीं है क्या ? उसने कहा है तो फिर तुम क्यों नहीं गई तब उसने जवाब दिया की अच्छे दिन तो तुम्हारे साथ बिताये अब थोडी सी मुसीबत में तुम्हारा साथ कैसे छोड़ दूँ और फिर अभी तक इतना पानी है की मैं जीवित रह सकती हूँ नदी ने कहा तुम ही सच्ची साथी हो