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मेरी ग़ज़ले भी गाया कर मत मुझसे तू शर्माया कर।। रोन

मेरी ग़ज़ले भी गाया कर
मत मुझसे तू शर्माया कर।।

रोने का जब भी जी चाहे
पानी से खूब नहाया कर।।

रिश्तों को ऐसे जिंदा रख
घर बिन बुलाये जाया कर।।

ख्वाब हकीकत होंगे पर
मत जल्दी तू उकताया कर।।

जो काम वक़्त पे आते है 
उनको तू रोज कमाया कर।।

अपना घर अपना होता है
अपना घर खूब सजाया कर।।

जब दिल लगे भारी भारी
मुझको आवाज लगाया कर।।
#प्रशान्त
15/04/2021

©प्रशान्त पाण्डेय #WalkingInWoods
मेरी ग़ज़ले भी गाया कर
मत मुझसे तू शर्माया कर।।

रोने का जब भी जी चाहे
पानी से खूब नहाया कर।।

रिश्तों को ऐसे जिंदा रख
घर बिन बुलाये जाया कर।।

ख्वाब हकीकत होंगे पर
मत जल्दी तू उकताया कर।।

जो काम वक़्त पे आते है 
उनको तू रोज कमाया कर।।

अपना घर अपना होता है
अपना घर खूब सजाया कर।।

जब दिल लगे भारी भारी
मुझको आवाज लगाया कर।।
#प्रशान्त
15/04/2021

©प्रशान्त पाण्डेय #WalkingInWoods