यहाँ मासूमियत का कौन सा अंदाज है - सुनील काट के पर कहते हो अजाद हो तुम 'लोग पत्थर के बुतो पुजकर भी मासूम रहे.... सुनील हमने एक इन्सान को चाहा और गुनहगार हो गये " "कौन देता है उम्र भर का सहर ए - सुनील लोग जनाजो मे भी कन्धे बदलते रह्ते है" उस सख्स से ताल्लुक है मेरा - सुनील "अगर वो परेसा हो तो हमे नीँद नही आती " तू होगा किसी और के लिये समंदर ये इस्क "- सुनील "हम तो रोज तेरे साहिल से प्यासे गुजर जाते हैं हम ना बदलेंगे वक्त के साथ सुनील जब भी मिलेंगे हम अंदाज पुराना होगा" kisi ke liye hum