गुलाब काँटो मे रहकर भी मुस्कुरता हूँ मैं इसलिये गुलाब कहलाता हूँ मैं कोई कहता है प्यार की निशानी,कोई किताबो मे छिपाता है दो दिलो को भी मिलाता हूँ मैं इसीलिये गुलाब कहलाता हूँ मैं पेड़ो से सीधा मन्दिर और दरगाह मे, कभी चादर तो कभी माला से पवित्रता की महक फैलाता हूँ मैं इसीलिये गुलाब कहलाता हूँ मैं कोई रखता सम्भाल के, कोई पैरों तले कुचल देता है सब कुछ सह के भी मुस्कुराता हूँ मैं इसीलिये...... #स्मार्टी खान #गुलाब बड़ी में बहुत.. to be continued.. #Smarty_khan