बचपन बेचकर ये जवानी खरीदा हूं! आंखों में ख्याब नही पानी खरीदा हूं! खोकर दादी, नानी की नींद की लोरी जिंदगी की उलझी कहानी खरीदा हूं! चाहता था उस भीड़ से मैं बाहर निकलना! देख चलता सबको,कुछ दूर अकेले चलना! निकला सादगी की चाह में भीड़ से अकेला की अब तो मुस्किल हो गया खुद से मिलना! #NojotoQuote बचपन बेच बचपन बेचकर ये जवानी खरीदा हूं! आंखों में ख्याब नही पानी खरीदा हूं! खोकर दादी, नानी की नींद की लोरी जिंदगी की उलझी कहानी खरीदा हूं! चाहता था उस भीड़ से मैं बाहर निकलना!