* मौजूदा दौर की जिंदगी * जैसे की साँसों का कर्ज है मानो किश्तों में उतार रहे हैं वास्तव में जी नही रहे बस जिंदगी गुजार रहे हैं उपजीविका की भागदौड़ है जिंदगी की रफ्तार तेज है कोलाहल छाया सदा तनावपूर्ण दौर है ना ही सही मकसद रहा ना ही कोई छोर है मात्र सफर जारी है मंजिल कँही और है ना सच्ची खुशी है ना ही कोई लगाव है वक्त का प्रभाव है समय का बदलाव है ना ही आराम का पड़ाव ना ही कोई ठौर है क्या यही है जिंदगी ये सवाल सिरमौर है? द्वारा:-RNS #मौजूदा दौर की जिंदगी?