#अनकहे_जज़्बात दर-बदर की ठोकरें खाता हुआ पहुँचा था घर घर की हालत देख कर फिर हो गया में दर-बदर अब भला तुझसे कहुँ कैसे के वापिस लौट आ जब तुझे मुझसे भी बेहतर मिल गया इक हम-सफर ©Mo Asif Zaqi ( Baba) #अधूरा_सफर #अधूरा_इश्क़ #बाबा_✍ #vacation