खेल रहे गुड्डू और मोनू सोनू का लगन फिर भी हो रहा नंगे हैं सब यहाँ हर कोई फिर भी नाच रहा कल बुधवा लटक गया कपास का सूत गले का फंदा बन गया डिप्टी कलेक्टर ने कहा है आत्महत्या है अख़बार ने कहा है कि हत्या है गाँव में सबने समझा हादसा है टीवी का कुछ पता नहीं सरकार से कोई आशा नहीं नक़्शे में ये जगह नहीं मिलती सूखे की राहत रक़म नहीं मिलती बीटी का असर नहीं दिखता बैंक का पैसा फसल नहीं बनता #विदर्भ #आत्महत्या #किसान #राजनीति #YQdidi मेरी wattpad पे पोस्ट की हुयीं कविताएँ भाग-१ रूखे रूखे से हैं