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तुम्हारे सपने किस द्वार से आते हैं मुझे मालूम नही

तुम्हारे सपने किस द्वार से आते हैं
 मुझे मालूम नहीं
 मैंने अंधेरे साये रखे हैं,पहरेदार
 सिर्फ तुम्हारे लिए
 क्या उनकी दिशा है,क्या उनका मकसद है
 मुझे मालूम नहीं

डालते हैं समूचे जिस्म में 
गुलाब के झरने
मन को मोहित किए
क्या उनकी उत्सुकता 
मुझे मालूम नहीं

और धुंधली दिखती है तुम्हारी परछाई
उन टपकती राशियों में
तुम करीब रहकर भी सबसे दूर होती हो
इस वास्तविक दुनिया में
सिर्फ आईना झलकता है तुम्हारी अदाओं का
क्या उनकी विवशता
मुझे मालूम नहीं

#Yãsh🖊 #poem #poetry #emotion #thoughts #Love #Lovepoetry
तुम्हारे सपने किस द्वार से आते हैं
 मुझे मालूम नहीं
 मैंने अंधेरे साये रखे हैं,पहरेदार
 सिर्फ तुम्हारे लिए
 क्या उनकी दिशा है,क्या उनका मकसद है
 मुझे मालूम नहीं

डालते हैं समूचे जिस्म में 
गुलाब के झरने
मन को मोहित किए
क्या उनकी उत्सुकता 
मुझे मालूम नहीं

और धुंधली दिखती है तुम्हारी परछाई
उन टपकती राशियों में
तुम करीब रहकर भी सबसे दूर होती हो
इस वास्तविक दुनिया में
सिर्फ आईना झलकता है तुम्हारी अदाओं का
क्या उनकी विवशता
मुझे मालूम नहीं

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Yãsh BøRâ

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