#OpenPoetry कौन रूठता है कौन मनाता है ये तो ख़ुदा ही जानता है की रिश्ता कौन निभाता है मैं रोज आता हूँ तेरे दर पे बैल बजा बजा कर थक कर चला जाता हूँ के मैं आया था ये भी तुम्हें तुम्हारा पडोसी बताता है मैंने कभी कैद नही किया इश्क में तुमको को कभी चारदीवारी में एक तू है जो गैरों से मिलने दिवार फांदकर जाता है अच्छा सबक मिला इश्क़ में अँधा होने का हमारा सनम हमारे सामने बेख़ौफ़ रकीबों को गले लगाता है अब किसका किसका मुँह पकड़ता फिरू मैं तेरे शरारतों के बारे में कहने वाला तो इशारों इशारों में कह जाता है अच्छा हुआ मुझे तेरी बेवफ़ाई की दवाई नहीं मिली आज समझ में आया की शर्म वाला क्यूँ डूबकर मरकर जाता है #OpenPoetry #रिश्ते_कौन_निभाता_है JYOTI (pagali_ladaki❤)