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यकीनन तुम चाँद हो पर, मैं पेड़ का पत्ता हूँ जो तु

यकीनन 
तुम चाँद हो
पर, 
मैं पेड़ का पत्ता हूँ
जो तुम्हारी चांदनी
लपेट कर सोना चाहता हूं ,
अनन्त दूरियों के बाबजूद 
तुम्हारे संग मुस्कुराना चाहता हूं ।
मैं किसी कवि या शायर की लिखीं स्वप्न लोक का पन्ना  हूँ
जिसके निष्पंद पन्नो में
तुम शब्दों में उतर जाना
और पन्नो को जीवंत करना
या फिर जैसे
निशीथ पहर में
करता हूँ 
छत के दीवारों पर अड़ कर 
टक टकी लगाए रहता हूं 
आसमान में
और मेरी आँखे  टिमटिमाते तारों को देख दूरियां भूल
 लम्बे करते हैं हथेली
जिन्हे बढ़ा कर
कुझ तारों को अपनी हथेली में चुराने की कौतूहल उमडती है 
हमेशा हमेशा के लिए...
चाँद का आशमां से मेरे छत पे आना 
चमकती हँसी से मुझे पुकारना 
मेरी एहसास तुम्हें 
फोटो फ्रेम में 
कैद कर 
आसमान की सामने वाली दीवार 
 में टांग दिया हो और मेरी टकटकी वाली
इंतेज़ार का खत्म होना 
तुम्हें एकटक देखते देखते 
मेरी आँखें दरिया में तैरने लगे 
 ईक्षाओं का चिड़ियों सा चहकना
 धरती की खुरदुरी ज़मीन में खुंद को गाड़ लूं
 आशाएं के पटल पे
 किसी दिन
उसी जगह एक फूल खिलेगा
और उसकी भीनी भीनी सुगंध
संग समाँ कर उड़कर
बादलों के चादर में लिपट कर 
तुम्हारे करीब पहुंचकर
 तुम्हे अपनी बाँहों में भर लूँगा
और तुम आश्चर्य चकित हो कर 
पहले की ही भांति 
लिपट जाना 
और अनंत काल तक लिपटे रहना ।

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey #Merekhayaal

यकीनन 
तुम चाँद हो
पर, 
मैं पेड़ का पत्ता हूँ
जो तुम्हारी चांदनी
लपेट कर सोना चाहता हूं ,
यकीनन 
तुम चाँद हो
पर, 
मैं पेड़ का पत्ता हूँ
जो तुम्हारी चांदनी
लपेट कर सोना चाहता हूं ,
अनन्त दूरियों के बाबजूद 
तुम्हारे संग मुस्कुराना चाहता हूं ।
मैं किसी कवि या शायर की लिखीं स्वप्न लोक का पन्ना  हूँ
जिसके निष्पंद पन्नो में
तुम शब्दों में उतर जाना
और पन्नो को जीवंत करना
या फिर जैसे
निशीथ पहर में
करता हूँ 
छत के दीवारों पर अड़ कर 
टक टकी लगाए रहता हूं 
आसमान में
और मेरी आँखे  टिमटिमाते तारों को देख दूरियां भूल
 लम्बे करते हैं हथेली
जिन्हे बढ़ा कर
कुझ तारों को अपनी हथेली में चुराने की कौतूहल उमडती है 
हमेशा हमेशा के लिए...
चाँद का आशमां से मेरे छत पे आना 
चमकती हँसी से मुझे पुकारना 
मेरी एहसास तुम्हें 
फोटो फ्रेम में 
कैद कर 
आसमान की सामने वाली दीवार 
 में टांग दिया हो और मेरी टकटकी वाली
इंतेज़ार का खत्म होना 
तुम्हें एकटक देखते देखते 
मेरी आँखें दरिया में तैरने लगे 
 ईक्षाओं का चिड़ियों सा चहकना
 धरती की खुरदुरी ज़मीन में खुंद को गाड़ लूं
 आशाएं के पटल पे
 किसी दिन
उसी जगह एक फूल खिलेगा
और उसकी भीनी भीनी सुगंध
संग समाँ कर उड़कर
बादलों के चादर में लिपट कर 
तुम्हारे करीब पहुंचकर
 तुम्हे अपनी बाँहों में भर लूँगा
और तुम आश्चर्य चकित हो कर 
पहले की ही भांति 
लिपट जाना 
और अनंत काल तक लिपटे रहना ।

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey #Merekhayaal

यकीनन 
तुम चाँद हो
पर, 
मैं पेड़ का पत्ता हूँ
जो तुम्हारी चांदनी
लपेट कर सोना चाहता हूं ,