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ये प्रेम इस लोक भर का नही , कौन मुझे तुमसे अलग कर

ये प्रेम इस लोक भर का नही , 
कौन मुझे तुमसे अलग कर पायेगा , 
ये सूरज , ये चाँद , ये धरती , ये अम्बर । 
साक्षी रहेंगे जनम-जनम भर , 
वो अग्नि हमें फिर एक कर जाएगी , 
जब तुम में मैं , और मुझ में तुम होगी । 


 कौन हो तुम  ।  #कौनहोतुम
ये प्रेम इस लोक भर का नही , 
कौन मुझे तुमसे अलग कर पायेगा , 
ये सूरज , ये चाँद , ये धरती , ये अम्बर । 
साक्षी रहेंगे जनम-जनम भर , 
वो अग्नि हमें फिर एक कर जाएगी , 
जब तुम में मैं , और मुझ में तुम होगी । 


 कौन हो तुम  ।  #कौनहोतुम