हिंदी में जीते हैं हम, हिंदी में हम मरते हैं। हिंदी भाषी है हम ,फिर क्यों इसको कम चुनते हैं। पिता की डांट, मां की लोरियां किताबों का शोर, दोस्तों की गालियां सब तो इसमें सुनते हैं । फिर क्यों हम इसके लिए नंबर दो चुनते हैं हिंदी भाषी है हम फिर क्यों इसको कम चुनते हैं ।। उर्दू में हम ख्वाब मगर हिंदी में सपने बुनते हैं । हिंदी हमारी विरासत है । फिर क्यों इसे सिर्फ भाषा में गिनते हैं । हिंदी भाषी है हम फिर क्यों इसको कम चुनते हैं। फिर क्यों इसको कम चुनते हैं ।। hindi diwas... #letter