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कभी ऐ हकीकतें मुंतजर नज़र आ लिबासे-मजाज़ में, के हज

कभी ऐ हकीकतें मुंतजर नज़र आ
 लिबासे-मजाज़ में,
के हजारों सज्दे तड़प रहे हैं मेरी जबिने-नियाज़ में। #nojoto#आखरी_साँस_तक
कभी ऐ हकीकतें मुंतजर नज़र आ
 लिबासे-मजाज़ में,
के हजारों सज्दे तड़प रहे हैं मेरी जबिने-नियाज़ में। #nojoto#आखरी_साँस_तक