ढूंढ रहा हूं ..... सरफिरा सा पंछी हूं मैं इस जहां में, चंचल मन को लेकर भटक रहा हूं। रूबरू हो गया हूं मैं उन गलियों से, फिर भी मैं आशियाना ढूंढ रहा हूं। डूब रही है मेरी ये कश्ती भी अब, मगर फिर भी पार करने जा रहा हूं। लहरा रही है ये उमंगे भी मुझे अब, फिर भी मैं किनारों से दूर जा रहा हूं। दूर आ गया हूं मैं अब तेरे दर से कहीं, मगर मैं आज भी वो राहें ढूंढ रहा हूं। खो दिया है अब मैंने खुदको भी यहां, मगर मैं आज भी तुझको ढूंढ रहा हूं । ©Manish Singh #Poetry #lovepoetry #love_quotes #lostmemories #lostpeople #life #LifeStory #mk847698