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ब्लेड से काटी रात की नब्ज़ से टपकते सियाह क़तरे ब

ब्लेड से काटी रात की नब्ज़ से टपकते

सियाह क़तरे बुझे हुए हैं..

छिले हुए चाँद की त्राशें,

जो रात भर छील-छील कर फेंकता रहा हूँ

गढ़ी हुई पेंसिलों के छिलके

ख़यालों की शिद्दतों से जो टूटती रही हैं..

इस ऐशट्रे में,

हैं तीलियाँ कुछ कटे हुए नामों, नंबरों के

जलाई थें चाँद नज़्में जिन से,

धुआँ अभी तक दियासलाई से झड रहा है…

उलट-पुलट के तमाम सफ़्हों में झाँकता हूँ

कहीं कोई तुर्रा नज़्म का बच गया हो तो उसका कश लगा लूं,

तलब लगी है !

ये ऐशट्रे पूरी भर गयी है..!! #gulzar_sahab
ब्लेड से काटी रात की नब्ज़ से टपकते

सियाह क़तरे बुझे हुए हैं..

छिले हुए चाँद की त्राशें,

जो रात भर छील-छील कर फेंकता रहा हूँ

गढ़ी हुई पेंसिलों के छिलके

ख़यालों की शिद्दतों से जो टूटती रही हैं..

इस ऐशट्रे में,

हैं तीलियाँ कुछ कटे हुए नामों, नंबरों के

जलाई थें चाँद नज़्में जिन से,

धुआँ अभी तक दियासलाई से झड रहा है…

उलट-पुलट के तमाम सफ़्हों में झाँकता हूँ

कहीं कोई तुर्रा नज़्म का बच गया हो तो उसका कश लगा लूं,

तलब लगी है !

ये ऐशट्रे पूरी भर गयी है..!! #gulzar_sahab
ashishjain4448

Ashish Jain

New Creator