यूं तो मोहब्बत कब की छोड़ दी हमने, पर तेरे इश्क में एक बार फिर से तड़पना चाहता हूं मैं l वैसे तो कोई वजूद नहीं मेरा इश्क की दुनिया में मगर बनके प्यार की धड़कन, एक बार फिर तेरे सीने में धड़कना चाहता हूं मैं l और तू बंद एक मोहब्बत की किताब जैसी है, खोलकर तेरे हर एक पन्ने को पढ़ना चाहता हूं मैंl यूं तो किताबों से नफरत सी है मुझे, पर तेरे जैसी किताब हर शाम पढ़ना चाहता हूं मैं l ज्यादा और कुछ नहीं, बस यही बताना चाहता हूंl ©gaurav narya #Book