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दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक्त-बेवक्त मेरा ना

दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं।
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते हैं।

©Mani007
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Mani007

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