मिलता जो भी मुझे हर कोई तारीफ की चादर ओढ़ा जाता मुझको, अब जरा उन झूठी सहूलियत से मेरी सांस घुटने लगी तो वो चादर को उखेरने लगा, जब उखेरी वो झूठी शाबाशी की चादर तो भीतर मैं मेरे अन्दर अकेला पाया, पूछा जब मैंने खुद को खुद से तो कहा कि कई अरसे से मैं तुम्हारे किए कर्मो का परिणाम भुगत रहा था, ज़रा आया ही है तो थोड़ा गले मिल ले मुझको।। #hindi #vichar #nojoto