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शिकायत करूं तो किससे कोई सुनता ही नहीं है, अकेले ह

शिकायत करूं तो किससे
कोई सुनता ही नहीं है,
अकेले ही आए थे
अगले है जाना
यहां कोई भी
किसी के
संग का
नहीं।
क्यों?
किसी से
आशा रखो,
क्यों किसी से
उम्मीद तुम रखो,
ये ज़िन्दगी तो चार
दिन में मिट जानी है,
सबसे मैत्रीभाव तुम रखो। ये मेरा ⌛ कविता का पहला प्रयास है। आशा करती हूं कविता रूप से साथ न्याय हो। शुक्रिया Nidhi Bansal नी दी आपके कारण कविता का विषय मिला। 🙈


नमस्ते दोस्तों । 
हमारा सातवाँ चैलेंज कुछ इस प्रकार है। 
इस चैलेंज के लिए आपको एक कविता लिखनी है जो की रेत की घडी (hourglass) के आकार की होनी चाहिए । 

इस चैलेंज के नियम इस प्रकार हैं-
शिकायत करूं तो किससे
कोई सुनता ही नहीं है,
अकेले ही आए थे
अगले है जाना
यहां कोई भी
किसी के
संग का
नहीं।
क्यों?
किसी से
आशा रखो,
क्यों किसी से
उम्मीद तुम रखो,
ये ज़िन्दगी तो चार
दिन में मिट जानी है,
सबसे मैत्रीभाव तुम रखो। ये मेरा ⌛ कविता का पहला प्रयास है। आशा करती हूं कविता रूप से साथ न्याय हो। शुक्रिया Nidhi Bansal नी दी आपके कारण कविता का विषय मिला। 🙈


नमस्ते दोस्तों । 
हमारा सातवाँ चैलेंज कुछ इस प्रकार है। 
इस चैलेंज के लिए आपको एक कविता लिखनी है जो की रेत की घडी (hourglass) के आकार की होनी चाहिए । 

इस चैलेंज के नियम इस प्रकार हैं-
mahimajain6772

Mahima Jain

New Creator