कुछ ख्वाब अधूरे से है, अधूरे से हम, अधूरा सा हमारा बचपन, अधूरी वो लड़कपन की मोहब्बत, अधूरी है दोस्तों से शिकायतें, अधूरा बिन हमारे आज माँ का आंगन, अधूरी यादें, अधूरी बातें, अधूरी रातें, सब अधूरा अधूरा सा लगता है, जिस घर मे बीता बचपन , बस वही सब पूरा सा लगता है, पर…. पर वो तो अब छूट गया, और रह गए, अधूरे से हम और क़ुछ ख्वाब अधूरे से। -निभा #बचपन #मायका #अधुरेख्वाब