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इक झूठ जरा सा अफसाने में रख देना, बेनाम मुहब्बत को

इक झूठ जरा सा अफसाने में रख देना,
बेनाम मुहब्बत को अनजाने में रख देना।
अंजाम किसी को क्या मालूम नही खामोशी का,
दम तोड़ती साँसें जैसे तहखाने में रख देना।
#नीरू

©Nirupama Mishra
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