समय ने अपना पहिया चलाया है कुदरत ने ये नवाब खेल रचाया है आज इंसान पिंजरें मे केद है और परिंदे ने अपनी आजादी का जसन बनाया है ✍✍✍जीतू घासल सुरसूरा बाबा