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#अधूराकिरदार तुम हो‌ तभी तो ये किस्सा है वरना कौ

 #अधूराकिरदार 

तुम हो‌ तभी तो ये किस्सा है वरना कौन यहां अब किसी कि कहानी का हिस्सा है  तेरे छोटे से किरदार को मैं बड़ा करने कि कोशिश कर रहा हूं इन कोरे कागज़ों को 
हर उस यादगार पल से रंग रहा हूं जो कभी हमने साथ साथ बिताए थे मुझे मालूम था या नहीं पता नहीं कि तुम भी कभी किस्सा बनोगी और इन बेजान कोरे कागज़ों में जान फुंकने लगोगी ।। कहते हैं वक़्त सारे ज़ख्म भर देता है, पर जब कुछ याद आता है तब यही वक़्त ज़ख्म कुरेद भी देता है ।। 
ये कथाकार , ये लेखक, ये रचनाकार सब वक्त के बनाए हैं ।। मैं तुम्हें पा ना सका इसलिए लिख रहा हूं , और हर वो शख्स तुम्हें पाने कि चाह रखता है जो तुम्हें किसी दूकान से खरीदकर पढ़ रहा है जरा देखो तो मैंने तुम्हारी बाहरी खुबसूरती का ज़िक्र तक नहीं किया पर फिर भी हर शख्स तुम्हें पाना चाहता है।। तुम उनके लिए हकीकत से परे हो पर जब भी पढ़ी जाती हो तो जैसे कोई कहानी नहीं वास्तविकता लगती हो ।। मगर मैंने जो लिखा है उसमें तुम्हारी बाहरी खुबसूरती को बहुत छोटा कर दिया है ।। क्योंकि इन कागज़ों में मैंने तुम्हारा शारीरिक चित्रण नहीं बल्कि मानसिक चित्रण किया है ।। पर फिर भी असल जिंदगी में बाहरी सुन्दरता मायने रखती है।। तुम्हें याद कर के लिखना अक्सर मुझे तुम्हारे करीब ले आता है।। तुम आज भी मेरे उन जज्बातों से जूड़ी हो इसलिए मैं भी तुम्हें लिखकर याद कर लेता हूं ।। अपने जाने के बाद तेरी पहचान और कई सारे सवाल छोड़कर जाऊंगा ।। शायद इसलिए क्योंकि मैं तेरे किरदार को अधूरा दर्शाऊंगा और मैं भी इन प्यार के ढाई अक्षर की तरहां अधूरा रह जाऊंगा।। तुझमें उलझा तो मैं कब से था ही , यहां भी सबको उलझाकर ही जाऊगा , मुमकिन है के वो तुम्हें पा सकें , मगर मैं कोई रचनाकार, या कथाकार नहीं कहलाऊंगा।।

Harsh kumar
 #अधूराकिरदार 

तुम हो‌ तभी तो ये किस्सा है वरना कौन यहां अब किसी कि कहानी का हिस्सा है  तेरे छोटे से किरदार को मैं बड़ा करने कि कोशिश कर रहा हूं इन कोरे कागज़ों को 
हर उस यादगार पल से रंग रहा हूं जो कभी हमने साथ साथ बिताए थे मुझे मालूम था या नहीं पता नहीं कि तुम भी कभी किस्सा बनोगी और इन बेजान कोरे कागज़ों में जान फुंकने लगोगी ।। कहते हैं वक़्त सारे ज़ख्म भर देता है, पर जब कुछ याद आता है तब यही वक़्त ज़ख्म कुरेद भी देता है ।। 
ये कथाकार , ये लेखक, ये रचनाकार सब वक्त के बनाए हैं ।। मैं तुम्हें पा ना सका इसलिए लिख रहा हूं , और हर वो शख्स तुम्हें पाने कि चाह रखता है जो तुम्हें किसी दूकान से खरीदकर पढ़ रहा है जरा देखो तो मैंने तुम्हारी बाहरी खुबसूरती का ज़िक्र तक नहीं किया पर फिर भी हर शख्स तुम्हें पाना चाहता है।। तुम उनके लिए हकीकत से परे हो पर जब भी पढ़ी जाती हो तो जैसे कोई कहानी नहीं वास्तविकता लगती हो ।। मगर मैंने जो लिखा है उसमें तुम्हारी बाहरी खुबसूरती को बहुत छोटा कर दिया है ।। क्योंकि इन कागज़ों में मैंने तुम्हारा शारीरिक चित्रण नहीं बल्कि मानसिक चित्रण किया है ।। पर फिर भी असल जिंदगी में बाहरी सुन्दरता मायने रखती है।। तुम्हें याद कर के लिखना अक्सर मुझे तुम्हारे करीब ले आता है।। तुम आज भी मेरे उन जज्बातों से जूड़ी हो इसलिए मैं भी तुम्हें लिखकर याद कर लेता हूं ।। अपने जाने के बाद तेरी पहचान और कई सारे सवाल छोड़कर जाऊंगा ।। शायद इसलिए क्योंकि मैं तेरे किरदार को अधूरा दर्शाऊंगा और मैं भी इन प्यार के ढाई अक्षर की तरहां अधूरा रह जाऊंगा।। तुझमें उलझा तो मैं कब से था ही , यहां भी सबको उलझाकर ही जाऊगा , मुमकिन है के वो तुम्हें पा सकें , मगर मैं कोई रचनाकार, या कथाकार नहीं कहलाऊंगा।।

Harsh kumar