बहुत खुबसूरत गज़ल लिख रही हूं , तुम्हें देख कर आज कल लिख रही हूं... वक्त के हाथों से फिसलते रातों की गीत लिख रही हूं.. बहुत कुछ सोच रखा है अब तक.. दिल को हार कर खुश हूं अपने हारे हुए, मन की जीत लिख रही हूं.. सोचा न था अब से पहले ,आप यूं भी मेहरबान होंगे... खुद को डुबो कर आपके सांसो में गीत लिख रही हूं... डर है तो बस तन्हाई का, दूर न करना अपनी जिंदगी से. आप ही की है यह प्रीत ...लिख रही हूं #सारिका ©Sarika Das #OneSeason