कल साथ तेरा था, आज बात तेरी है। मुलाकातों के दिन गए, बस याद तेरी है।। तुझे देख कर जाना था मैंने, क्यूँ दिल दीवाना होता है? जो आंखों को भा गया, वो अनजाना अपना होता है। पथराई आंखें तक रहीं, बस राह तेरी है! कल साथ तेरा था... जान जिस्म से रूठ गया, दिलों का बंधन टूट गया। बिछड़ा हूँ मैं या तू बिछड़ी, है साथ अपना छूट गया। बेजान तन है तड़प रहा, ये इश्क आख़िरी है! कल साथ तेरा था... कल की तेरी मीठी बातें, मुझको बड़ा रुलाती हैं। रहूँ भीड़ में या तन्हा, बस याद तेरी आती है, चीख रहा है टूटा दिल, कहाँ जान मेरी है? कल साथ तेरा था.... #myfirstpoem #myfirstpoetry यह कविता नहीं एक गीत है, एक 'प्रेम -गीत' ।और यह मेरे द्वारा लिखी गई पहली कविता भी है। अपने तन्हा पलों में इसे गुनगुनाकर मैं असीम शांति का अनुभव करता हूँ।