_____________________________________________________________ हमेशा ही हमारे समक्ष केवल और केवल दो विकल्प होते हैं 'करो या मरो' पंरतु गंभीर और विचलित करने वाली बात यह है कि हम अधिकांश यहाँ से वहाँ और वहाँ से यहाँ इन दोनों के बीच ही झूलते रहते हैं. इस तरह हम कर तो कुछ नहीं पाते हैं परन्तु हाँ धीरे-धीरे मर जरूर रहे होते हैं. यह सोचना या लिखना किसी भी तरह से नकारात्मक और निराशा से भरा हो सकता है. परन्तु बार-बार स्वंय को यह याद दिलाते रहना बहुत जरूरी है कि हमेशा ही हमारे समक्ष केवल और केवल दो विकल्प होते हैं 'करो या मरो'. ©अल्प _____________________________________________________________ #anintrovertsdiary