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•| वर्ण कविता |• चंचल समझ कर लाए थे, निकली वो चंड

•| वर्ण कविता |•

चंचल समझ कर लाए थे, निकली वो चंडाल
चांद सी थी सुंदर, पर नहीं थी ज़रा भी निर्मल
चिल्लाती थी ऐसे, जैसे हो फटे बांस का स्पीकर
चुप हो जाए लगता था, मर गया कोई घर के भीतर।।
 नमस्कार,
जैसा की आप सभी जानते है कि हमारी हिन्दी भाषा का मूल है स्वर और व्यजंन।
स्वर और व्यजंन के संगम से बनते है वर्ण और वर्णों के मेल से शब्द बनते है और शब्दों का महत्त्व और उपयोग तो आप सभी जानते है।
निम्नलिखित रचना में मैंने चार स्वर- "अ, आ, इ और उ" और कोई एक व्यजंन "च" को लेकर चार पंक्तियां लिखी है। रचना की पंक्ति का प्रथम वर्ण दिये गये हर स्वर और क व्यजंन के मेल से क्रमानुसार है।

 बहुत बहुत आभार Nidhi Nidhi Bansal बहुत ही अद्भुत प्रतियोगिता है। ❤️
#prantitask1
#merivarnkavita
•| वर्ण कविता |•

चंचल समझ कर लाए थे, निकली वो चंडाल
चांद सी थी सुंदर, पर नहीं थी ज़रा भी निर्मल
चिल्लाती थी ऐसे, जैसे हो फटे बांस का स्पीकर
चुप हो जाए लगता था, मर गया कोई घर के भीतर।।
 नमस्कार,
जैसा की आप सभी जानते है कि हमारी हिन्दी भाषा का मूल है स्वर और व्यजंन।
स्वर और व्यजंन के संगम से बनते है वर्ण और वर्णों के मेल से शब्द बनते है और शब्दों का महत्त्व और उपयोग तो आप सभी जानते है।
निम्नलिखित रचना में मैंने चार स्वर- "अ, आ, इ और उ" और कोई एक व्यजंन "च" को लेकर चार पंक्तियां लिखी है। रचना की पंक्ति का प्रथम वर्ण दिये गये हर स्वर और क व्यजंन के मेल से क्रमानुसार है।

 बहुत बहुत आभार Nidhi Nidhi Bansal बहुत ही अद्भुत प्रतियोगिता है। ❤️
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#merivarnkavita
mahimajain6772

Mahima Jain

New Creator