बर्बाद होने का शोंक था मुझे , तभी इशारों में उसे समझाया था । चाहती तो वो भी होगी मुझे बर्बाद करना शायद तभी उसे इशारा समझ आया था । मैने महोबत का इजहार किया उसने भी तो हां में सिर हिलाया था । में तो गुलाब देके उसे फूल होने का एहसास दिया पर शायद उसने सिर्फ कांटो से अपना हाथ बचाया था । इश्क के खेल का ई प्ता ना था मुझे , बस खुद को अब्ल खिलाड़ी समझ रहा था, वो तो बाद में प्ता चला कि उसने मुझ जैसे कितनो का ,,,,,,,,,,,,बनाया था। ©Rajput Badal Thakur प्यार नामा