आबरू हुई तार तार इन्सानियत शर्मशार हुई हैवानियत की हद है ये जो मासूम के साथ बार बार हुई बहशत का ये कैसा तमाशा है हर चेहरे पर निराशा है खून खोलती आंँखें हैं इंसाफ की पिपासा है मजह़ब हो कोई भी मगर पहले इंसान बनो सोये जमीर को जगाओ फिर बाद में महान बनो दरिंदो को जला डालो शैतानों को न माफ़ करो तकरीरें देना बंद करो सोच पाक साफ करो #RIPAsifa #आक्रोश #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan #yqquotes #yqtales