हर मंजर में रफ्तार है तो रुकी ये जमीं सी क्यूँ है खुशऩुमा ये वक्त है तो लम्हों में ये गमी सी क्यूँ है छुपा दरम्यां कुछ नहीं तो लबों पे ये खामोशी सी क्यूं हैं हो चुके दो जिस्म एक ही तो बीच में ये लकीर सी क्यूँ है शीशे में दिखे हमराही ही तो सूरत ये धुँधली सी क्यूँ है मैंजिल है इस सफर की एक ही तो राहें ये अलग सी क्यूँ है उमड़ता सीने में प्यार ही तो दिलों में ये खामोशी सी क्यूँ है हैं सांसों में महक तेरी तो अहम की ये दुर्गंध सी क्यूँ है हैं करीब तु इतना मेरे तो बीच में ये दूरी सी क्यूं है रह ना सके एक दूजे बिन तो कदमों में ये रुकावट सी क्यूँ है रह ना सके एक दूजे बिन तो कदमों में ये रुकावट सी क्यूँ है ©Dr Yagyanik Barwar #Raftar #Khamoshi #Gami #Humrahi #Rukawat #Ekjismekjaan #lakeer #Couple