Trust me खुदा हैं लोग गुनाह और सबाब देखते हैं । हम तो रोज ही रोजे हिसाब देखते हैं । इतना ना कुचल - कुचल कर फुटपाथ को चलो । रात को मजदूर यहां ख़्वाब देखते हैं । by # Ahmad Salman # खुदा हैं लोग # by# Ahmad Salman poetry#